Monday, December 20, 2010
छोड़ आया मैं ......
Tweet अब तक इस ब्लॉग में मैं ३० पोस्ट लिख चूका हूँ , मगर उनमें सें एक भी पोस्ट मैं हिन्दी में नहीं लिख पाया हूँ मुझे लगता है अब समय आ गया है की मैं अपनी राष्ट्र भाषा को थोडा यहाँ भी महत्व दूँ . इस बदलाव कें पीछे मेरे ख़ास दोस्त मनीष का हाथ है जिन्होंने मुझे हिन्दी में लिखने को प्रेरित किया , तो अबसे मैंने सोच लिया है की हिन्दी को भी इस ब्लॉग में समान जगह देने की मैं कोशिश करूँगा
21 अगस्त 2007 का दिन मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण था , मेरा एक सॉफ्टवेर कंपनी में सेलेक्शन हो गया था और बीटेक ख़तम होने में अभी एक साल बचा था , मेरी और मेरे परिवार की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था लगता था ज़िन्दगी की सारी तकलीफें खत्म हो गई हो. मैं सोचता था जिनका कैम्पस प्लेसमेंट हो जाता है वोह कोई और ही दुनिया के प्राणी होते होंगे , रोज़ रात को मैं सपने देखता था की मेरा भी किसी कंपनी में प्लेसमेंट हो गया है मगर जब धरातल पर आता तो पता चलता सपने तो सपने ही होते है लेकिन यह कोई सपना नहीं था ... मेरा सपना सच में ही हकीकत में बदल गया था . मगर एक साल बाद वित्तई मंदी आ गई और मेरी नौकरी लगने से पहले ही छुट गई , सारे सपने मेरे अब धरातल पर थे.
एक साल लग गए नई नौकरी ढूँढने में ,फिर मनीष और मेरी नौकरी एक साथ लगी मगर इस बार कंपनी ने हमे देर से बुलाया. 21 अगस्त 2009 कॉलेज प्लेसमेंट के ठीक २ साल बाद मेरी नई कंपनी से जोइनिंग का बुलावा आया और मैं अपनी जॉब पर पंहुचा मगर सालो ने जो सैलरी सोची थी मैंने उसकी आधी ही दी , खैर कोई बात नहीं सैलरी तो बढ़ जाएगी एक्स्पीरेएंस भी तो मिलेगा मुझे, . नौकरी क साथ एक असली लैपटॉप , एक ड्राईवर सहित गाड़ी और खूब सारा काम भी मिला मुझे.
तो अब काम क्या था मेरा ? आप के मोबाइल पर जो सिग्नल आतें है न ? वोह जी हमारी वजह से ही आते है . आपके मोबाइल पर पुरे सिग्नल आएं और आपका नेटवर्क अच्छा रहे उसके लिए मैं कहा कहा न फिरा , कोई छुट्टी नहीं , कोई टाइम नहीं काम का , घर पर काम से आजाओ तो फ़ोन पर काम में लगे रहो , चलो कोई नहीं मैं तो वोह भी करने को राज़ी था मगर कुछ पैसे तो बढाओ लेकिन वोह तो उन्हें मंज़ूर नहीं था . डेड साल होने वाला था मुझे काम करते हुए यहाँ तो मैंने सोच लिया यहाँ कुछ नहीं होने वाला मेरा.... इसलिए मैंने अपनी पहली नौकरी से छुट्टी लेली है .
खूब अछे दिन भी काटें थे यहाँ , बहुत काम सीखा कुछ सिखाया भी , कुछ नए दोस्त भी बने मगर यहाँ जितनी मेहनत करी मैंने उसका थोडा भी फल नहीं मिला मुझे.
अब मेरा लैपटॉप , कैमरा , मोबाइल और भी पता नहीं क्या क्या जो मिला था सब वापस जा रहा है . अपने दोस्तों को मैं यह कहना चाहता हूँ की अब मेरे मोबाइल में बैलेंस खत्म हो गया है कृपया करके अपने आप ही अब मुझे फ़ोन लगाया करें .
अभी तो मैं खाली हूँ दूसरे शब्दों में बेरोजगार हूँ मैं , अपने आप को कुछ महीने दे रहा हूँ कुछ नए क्षेत्र में अपना नया करियर बनाने को .... देखते है क्या होता है मेरे साथ में. लगता है जो इन्टरनेट का साडे पांसो रुपये का बिल है वोह मुझे पर भारी पड़ने वाला है अब ...... तो शायद मैं फिर १०० रुपये महीने वाला मोबाइल इन्टरनेट पर आने वाला हूँ और हाँ सालो से बंद पड़े अपने कंप्यूटर को भी तो दोबारा से चलाना पड़ेगा मुझे .
देखते है की मैं कुछ मेहनत कर पाता हूँ के नहीं ..... वैसे इतिहास गवाह है की मैं ज्यादा मेहनती नहीं हूँ मगर कुछ पाने के लिए कुछ करना तो पड़ेगा ही. आप लोगो को जो मेरे ब्लॉग पर आते है उन्हें मैं अपने ब्लॉग के ज़रिये बताता रहूँगा की मैं अपनी नई नौकरी की और कैसे अग्रसर होता हूँ .
आखिर में बताना चाहता हूँ की हिन्दी में यहाँ लिखते हुए मुझे बहुत अच्छा लगा मगर हिन्दी में लिखना थोडा मुश्किल है ... लगता है थोडा समय लगेगा इसके अनुरूप ढलने में ....लेकिन इसका यह बिलकुल न मतलब निकले की मैं अबसे हिन्दी में ही लिखूंगा जी नहीं मैं अंग्रेजी में भी साथ साथ लिखता रहूँगा.
चलिए चलते है अब फिर मिलेंगे !
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Thanks for reading the post.
ReplyDeleteYa hope for the best.